टाइप 1 डायबिटीज: जिंदा रहने के लिए रोज इंसुलिन लें

यह क्या है?

यह एक प्रकार का मधुमेह है जिसे जुवेनाइल डायबिटीज या इंसुलिन पर निर्भर डायबिटीज मेलिटस के रूप में भी जाना जाता है। ज्यादातर 30 साल से कम उम्र के लोगों में होता है, खासकर बच्चों, किशोर और युवा वयस्कों में। इस मधुमेह में अग्न्याशय ग्लूकोज के चयापचय (मेटबोलिस्म) के लिए आवश्यक पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होता है। क्योकि अज्ञात कारणों से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अग्नाशय की कोशिकाओं का विनाश हो जाता है।


 इसके लक्षण कौन-कौन से हैं?

इसके मुख्य लक्षण हैं:
  • पॉल्यूरिया: अत्यधिक और बार-बार पेशाब आना
  • पॉलीडिप्सिया: अत्यधिक प्यास लगना
  • पॉलीफेजिया: अत्यधिक भूख लगना
  • वजन का घटना
  • ऊर्जा की कमी और थकान
  • त्वचा में खुजली और संक्रमण की संभावना

इसका प्रबंधन कैसे होता है?

इसका उद्देश्य एक बच्चे या वयस्क को सामान्य जीवन जीने और जीवन के सभी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना है।
  • डॉक्टर के निर्देश के अनुसार इंसुलिन को रोज इंजेक्ट किया जाता है| 
  • पहले दिन में 4 बार एक ग्लूकोज मीटर (ग्लूकोमीटर) में रक्त का परीक्षण करके रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी की जाती है।
  • केटोन्स का परीक्षण एक मूत्र परीक्षण पट्टी द्वारा किया जाता है| 
  • डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ द्वारा सलाह के अनुसार एक अच्छा आहार जो वसा में कम होना चाहिए और जटिल कार्बोहाइड्रेट, बीन्स, साबुत रोटी और अनाज में उच्च होना चाहिए। 
  • चीनी, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट और शराब से बचना चाहिए। 
  • एक नियमित व्यायाम कार्यक्रम होना चहिये।
  • हाइपोग्लाइसीमिया को  तत्काल ग्लूकोज देकर सही किया जाता है जैसे कि चीनी / चॉकलेट / जेली बीन्स / शहद को मुंह में रखा जाता है।
  • नियमित स्वास्थ्य की जांच करवयी जाती है।

इसे कैसे रोका जा सकता है? 

अब तक की जानकरी के अनुसार, टाइप 1 डायबिटीज को  किसी भी तरीके से रोका नहीं जा सकता है।

इसकी जटिलताएं क्या हो सकती है?

यदि ठीक से मैनेज नहीं किया गया तो  
  • गुर्दे, तंत्रिकाओं (विशेष रूप से पैरों), वाहिकाओं, आंखों, त्वचा  को नुकसान और विभिन्न संक्रमणों का खतरा हो सकता है।
  • रक्त वाहिकाओं के नुकसान से दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। 
  • हाइपोग्लाइसीमिया और केटोएसिडोसिस के कारण कोमा भी हो सकता है।

हाइपोग्लाइसीमिया और केटोएसिडोसिस कब होता है

(क) हाइपोग्लाइसीमिया: तब होता है जब टाइप 1 मधुमेह वाला व्यक्ति
  • बहुत अधिक इंसुलिन इंजेक्ट करता है।
  • भोजन छोड़ देता है।
  • भारी व्यायाम करता है।
हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण
  • भूख लगना
  • जी मिचलाना 
  • सिर चकराना 
  • एकाग्रता में कठिनाई 
  • अस्थिरता
  • कमजोरी / थकान 
  • पसीना आना 
  • ठंड लगना  
  • धडकन तेज होना
  • मनोदशा में बदलाव / चिड़चिड़ापन
  • क्रोध या दुःख
(ख) केटोएसिडोसिस: टाइप 1 मधुमेह में होता है 
  • जब उसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है और 
  • जब किसी बीमारी के दौरान किसी कारण से इंसुलिन नहीं लिया जाता है। 
कीटोएसिडोसिस के लक्षण हैं
  • तंद्रा (ड्र्वजीनेस)
  • उल्टी 
  • पेट में दर्द और 
  • साँस लेने मे तेजी   
कीटोएसिडोसिस में केटोन्स व्यक्ति के रक्त और मूत्र में आने शुरु हो जाते  हैं।  इसलिए टाइप 1डायबिटीज मेलिटस वाले व्यक्ति में इंसुलिन को कभी भी बंद नहीं करना चाहिए।

क्या एक डायबिटिक बच्चा खेलो मे भाग ले सकता है?

हाँ (इंसुलिन खुराक के पूर्व समायोजन के साथ) क्योकि व्यायाम शरीरिक विकास के लिए अच्छा है। व्यायाम के दौरान अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट की
आवश्यकता हो सकती है।

जब बच्चा बीमार हो तो क्या करें?

  • यदि बच्चा बहुत अधिक नहीं खा रहा है या एनोरेक्सिया, मतली या उल्टी से पीडीत है तब भी इंसुलिन जारी रखा जाना चाहिए।
  • बीमारी के दिनों के लिए एक पूर्वनिर्धारित कार्य योजना होनी चाहिए।
  • सलाह के लिए अपने डॉक्टर / अस्पताल को कौल करे।
  • यदि संभव हो तो सामान्य भोजन की योजना बनाए रखें।
  • तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाएं।
  • रक्त शर्करा की माप की आवृत्ति को 3-4 गुना / दिन तक बढ़ाएं
  • कीटोन के लिए मूत्र या रक्त की जाँच करें।
  • दिया गया अतिरिक्त इंसुलिन तेजी से कम करने वाला होना चाहिए।

क्या एक डायबिटिक बच्चा स्कूल जा सकता है?

हां, बच्चे को स्कूल जाना चाहिए और स्कूल की गतिविधियों में भी भाग
लेना चाहिए। स्कूल प्रमुख और कर्मचारियों को निदान और प्रबंधन के
मुद्दों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए, खासकर अगर
हाइपोग्लाइसीमिया विकसित होता है

याद रखने योग्य कौन सी बाते हैं?

  • बहुत अधिक भोजन, तनाव या बीमारी रक्त शर्करा में वृद्धि करेगी।
  • दवाओं और व्यायाम से रक्त शर्करा में कमी होगी।
  • बीमारी में भी हर रोज इंसुलिन दिया जाना चाहिए।
  • बीमारी के दिनों के लिए एक कार्य योजना बनाएं।
  • कभी भी किसी छोटी बीमारी को भी नजरअंदाज न करें क्योंकि इससे रक्त शर्करा में बड़ी वृद्धि हो सकती है।
  • डॉक्टर द्वारा निर्देश दिए जाने तक कभी भी इंसुलिन की खुराक को न बदलें।
  • केटोएसिडोसिस में अस्पताल में भर्ती कर देखभाल की आवश्यकता होती है।

क्या डायबिटिक लोगों को कोरोनावायरस अधिक आसानी से संक्रमित कर सकता है?

नहीं, मधुमेह रोगियों को COVID-19 होने का खतरा अन्य के समान ही 
होता है, लेकिन गंभीर बीमारी विकसित होने की अधिक संभावना होती है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकता है। हाइपोग्लाइसीमिया और कीटोएसिडोसिस जैसी जटिलताओं केविकास का जोखिम अधिक होता है क्योंकि बीमारी से लड़ने के लिए शरीर अतिरिक्त काम कर रहा होता है। अगर एक मधुमेह रोगी कोरोनोवायरस से संक्रमित हो जाता है तो बीमारी के दिनो वाले नियमों का पालन किया जाना चाहिए। COVID-19 संक्रमण को रोकने के लिए लोगो से सामाजिक दूरी बनाए रखे, बार-बार हाथ धोये और मास्क पहन कर रखे। COVID-19 संक्रमण के कोई भी लक्षण विकसित होने पर अस्पताल अवश्य जाएं।

सन्दर्भ:













Comments

Popular posts from this blog

Design equations of Rectangular Microstrip Patch Antenna

Spotters in "Hospital Waste Management" for CFM & MPH students

How to design a reconfigurable antenna? Step-by-step process.

ओआरएस: निर्जलीकरण में एक वरदान

How engineering education is getting disrupted by chatGPT?

Bajaj Set to Launch CNG Motorcycle by June 2024

Usage of ChatGPT in healthcare

How chatGPT is useful for the corporate?